पारंपरिक भारतीय चित्रकला - भाग 2
पारंपरिक भारतीय चित्रकला के कुछ प्रकारों के बारे में हमने इस लेख के प्रथम भाग में जानकारी ली। इस दूसरे भाग में भी हम कुछ और चित्रकलाओं की जानकारी लेने का प्रयास करेंगे।
पिछवाई चित्रकला : करीब 400 वर्ष पूर्व राजस्थान के उदयपुर के निकट नाथद्वारा में इस चित्रकला की शुरुआत हुई। ये चित्र आमतौर पर कपड़े पर बनायें जाते हैं और इनमें श्रीनाथ जी यानि श्रीकृष्ण का चित्रण होता है। भगवान के गहने को असली सोने के पावडर से रंग दिया जाता है अतः ये चित्र महंगे होते हैं। आजकल सोने के पावडर के बदले सुनहरे रंग का उपयोग होता है और सुंदरता बढाने के लिए मोती तथा नग लगाते हैं।
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पिछवाई चित्रकला |
मंडला चित्रकला : मंडला चित्र एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक उपकरण है। भारत में सभी धर्मों के लोग जैसे हिंदू, बौद्ध, जैन और शिनटोई; मंडला चित्रकला का उपयोग ध्यान धारणा के समय मन को एकाग्र करने के लिए करते हैं। मंडला का अर्थ गोलाकार है और यह पूर्णत्व का दर्शक है। आधुनिक युग में मंडला चित्रकला का रूप भूमितिय आकारों का सुंदर संकलन मात्र रह गया है। वज्रायन बौद्ध धर्म में मंडला चित्रकला का विकास बालू से बनाई गई चित्रकला के रूप में भी हुआ था।
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मंडला चित्रकला Image by Martina Bulková from Pixabay |
ऐपन चित्रकला : यह कुमायूं की लोक चित्रकला शैली है। ऐपन का अर्थ गृह का भूषण। यह एक मांगलिक द्रव्य है जो चावल और हल्दी को एक साथ पीसने से बनता है। जिसपर ऐपन बनाने होते हैं उस जगह पहले गेरू से पुताई की जाती है। चांद, सूरज, स्वस्तिक, गणेशजी, फूलपत्ते, बेलबूटे, लक्ष्मी पैर, चोखाने, शंख, दीयें आदि के चित्र बनायें जाते हैं।
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ऐपन चित्रकला |
गोंड चित्रकला : गोंड चित्रकला एक आदिवासी कला है जो गोंड जनजाति के लोगों द्वारा बनाई जाती है। वैसे गोंड चित्रकला मुख्यतः मध्यप्रदेश की मानी जाती है परंतु महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और ओडिशा में भी गोंड जनजाति के लोग होने के कारण इन प्रदेशों में भी गोंड चित्रकला दिखाई देती है। मिट्टी की दिवारों पर नैसर्गिक वस्तुओं से प्राप्त रंगों से प्रकृति से संबंधित चित्र बनायें जाते हैं। इसमें मुख्यतः चारकोल, मिट्टी, गोबर, पत्ते आदि का प्रयोग होता है।
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गोंड चित्रकला Gond painting by Durgabai Vyam © Sarmaya Arts Foundation is licensed under Creative Commons Attribution 4.0 International license |
कालीघाट चित्रकला: कोलकाता के प्रसिद्ध तीर्थस्थल कालीघाट मंदिर में 19 वी सदी में कालीघाट चित्रकला की शुरुआत हुई। वहाँ के पटुआ समाज के सदस्यों ने इस पद्धति का विकास किया अतः बंगाल की पटुआ चित्रकला भी कालीघाट चित्रकला का ही एक अंग है। शुरू में कूची और कालिख से इन लोगों ने कपड़ों एवं ताड़ के पत्तों पर देवी देवताओं के चित्र बनायें। इन चित्रों को दिखा कर पौराणिक कहानियाँ भी कहीं जाती थी। बाद में प्रतिष्ठित लोगों के चित्र बनायें गए। कुछ चित्र धनी वर्ग पर कटाक्ष करने वाले भी बनें तो कुछ चित्र महिलाओं के प्रणय का चित्रण करते हैं।समाज के शैक्षणिक विकास के साथ साथ हुए सामाजिक परिवर्तन का चित्रण भी कालीघाट चित्रकला में किया गया है।
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कालीघाट चित्रकला |
पिथोरा चित्रकला: पिथोरा चित्रकला राठवा, भील और नायक जनजाति के लोग दिवारों पर करते थे। पिथोरा चित्रकला का उद्गम मध्यप्रदेश में माना जाता है परंतु जहाँ जहाँ इन जनजातियों के लोग रहते हैं वहाँ वहाँ पिथोरा चित्रकला प्रचलित है। अतः गुजरात के बडोदा के आसपास के स्थानोंपर भी पिथोरा चित्रकला की जाती है। पिथोरा चित्रकार को लखाडा कहते है जो सामान्यतः किसान होते हैं अतः विषय भी ग्रामीण जीवन और प्रकृति से जुड़े होते है। साथ ही पिथोरा बाबा और उनकी पत्नी पिथोरी, जिनकी ये लोग पूजा करते हैं, भूत प्रेत और पूर्वजों के भी चित्र बनायें जाते हैं। रंगीन पावडर को दूध और महुआ के फूलों से बनी शराब में मिला कर रंग बनायें जाते हैं। बेंत या टहनी के एक सिरे को कूट कर बनायें हुये ब्रश से चित्रकारी की जाती है।
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पिथोरा चित्रकला Painting by Anilbhardwajnoida under is licensed under Creative Commons Attribution-Share Alike 3.0 Unported license |
आजकल इन सभी पारंपरिक चित्रकलाओं को करने के लिए आधुनिक साधन जैसे कैनवास, कृत्रिम रंग और तरह तरह के ब्रशेस् आदि का उपयोग करते हैं परंतु इनके विषय ज्यों के त्यों हैं क्योंकि वे इन चित्रकलाओं की आत्मा हैं।
भारतीय पारंपरिक चित्रकला का दायरा इतना विस्तृत है कि इस लेख को दो भागों में करके भी कुछ प्रकार मै कव्हर नहीं कर पाई जैसे: गुजरात का लिप्पन, मुगल कालिन सूक्ष्म चित्रकरिता, गुफाओं के भित्तिचित्र, शैलचित्र आदि। यदि आप चाहते हैं कि मै इन विषयों पर भी लिखूँ तो कृपया काॅमेन्ट बाॅक्स में लिखकर मुझे सूचित कीजिये।
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अद्भुत,अविश्वसनीय...हम कितनी सारी चित्रकलाओं से मालामाल हैं । ये कलाएं प्रकृति व हमारे जीवन के बहुत ही निकट हैं..बहुत ही सुंदर ।पढ़कर बहुत नई बातें ज्ञात हुईं,अच्छा लगा ।धन्यवाद ..💐
जवाब देंहटाएंVividly written about Indian painting
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