वाणी जयराम श्रद्धांजलि
वाणी जयराम संगीत क्षेत्र का एक जाना माना नाम। 30 नवम्बर 1945 को वेल्लोर तमिलनाडु में जन्मी यह प्रसिद्ध गायिका जानी जाती थी उनके शुद्ध तथा स्पष्ट उच्चारण और सहज गायिकी के लिए। उन्होंने उन्नीस भाषाओं में करीब दस हजार गाने गाये हैं। अन्य भाषाओं में उनके गायन के बारे मुझे अधिक जानकारी तो नही है परंतु उनके द्वारा गाये हिंदी फिल्मी गीतों की मै हमेशा प्रशंसक रही हूँ।
वे बँकींग क्षेत्र में कार्यरत थी। विवाह उपरांत उनके पति श्री जयराम जी के प्रोत्साहन से मुंबई में उन्होंने शास्त्रीय गायन का प्रशिक्षण प्राप्त किया और बँक की नौकरी छोड़कर गायन को अपना पेशा बना लिया। मुंबई निवास के समय उन्हें हिंदी में गाने का अवसर मिला। 1971 में आई श्री ऋषिकेष मुखर्जी निर्देशित और श्री वसंत देसाई द्वारा संगीतबद्ध फिल्म 'गुड्डी ' के 'बोले रे पपिहरा' इस गाने से उनकी आवाज घर घर में पहुँच गई। हिंदी फिल्म संगीत जगत में एकछत्र राज करने वालों के लिए यह खतरे की घंटी थी। वाणी जी को अवसर न मिले और उनका करियर समाप्त हो जाये इसके भरसक प्रयास किये गये परंतु हिरे की चमक को कौन छुपा सकता है। वह तो कोयले की खदान में भी चमकता है।
'गुड्डी' फिल्म की ही वाणी जी द्वारा गायी हुई अन्य प्रार्थना 'हमको मन की शक्ति देना मन विजय करे' आज भी कई कार्यक्रमों में गायी जाती है और श्रद्धा से सुनी जाती है। गुलजार जी के दिग्दर्शन में बनी और प्रसिद्ध सितारवादक पंडित रविशंकर द्वारा संगीत दिग्दर्शित 'मिरा' फिल्म में वाणीजीने बारह भजन गाये और सारे हि भजन अत्यधिक लोकप्रिय हो गये और इस वजह से उन्हें 'आधुनिक भारत की मीरा' भी कहा जाता है। 'मेरे तो गिरिधर गोपाल ' इस भजन के लिये उन्हें जीवन का पहला फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। बाद में उन्हें फिल्म फेयर जीवन गौरव पुरस्कार साउथ भी मिला।
मराठी के ख्यातिप्राप्त संगीतज्ञ पंडित कुमार गंधर्व जी ने वाणीजी कि प्रतिभा का सही मूल्यांकन करते हुए उनके साथ नाट्यगितों के म्यूजिक अलबम बनायें जिनमें उल्लेखनीय है 'ऋणानुबंधाच्या जिथून पडल्या गाठी, भेटीत रूष्टता मोठी' यह अप्रतिम रचना।
वाणी जी को पार्श्वगायन के लिए तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है और ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात राज्यों के राज्य पुरस्कार भी मिले। अभी हाल ही में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
आज वे अपने निवासस्थान में मृत पाई गई। अपने बेड से उतरते समय वे जमीन पर गिर गई और सर पर चोट के कारण उनकी मृत्यु हुई। उनकी मृत्यु की खबर से मन अवसाद से भर गया। भावपूर्ण श्रद्धांजलि। उनके गीतों द्वारा वे जनमानस पर अनंत काल तक छाई रहेंगी।
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