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लघु चित्रकारी

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                                        लघुचित्रकला  This file is licensed under the  Creative Commons   Attribution 3.0 Unported  license. https://en.wikipedia.org/wiki/en:Creative_Commons लघु चित्रकारी भारतीय शास्त्रीय परंपरा के अनुसार बनाई जानेवाली वह कला है जिसकी विशेषता है बारीकी से की हुई जटिल चित्रकारी। लघुचित्रों की दुनिया इतिहास, धर्मग्रंथों और समय के साथ बदलते हुए लोकजीवन का समग्र दर्शन है। सामग्री और प्रक्रिया  जैसा नाम से समझ आ रहा है, ये चित्र आकार में बहुत बडे नहीं होते। लघुचित्र विशेष रूप से पुस्तकों एवं एल्बमों के लिए छोटे स्वरूप में बनायें जाते हैं। इन्हें कपड़े और कागज़ पर भी बनाया जाता है। लघुचित्रों में बहुत जटिल चित्रों को अत्यंत बारीकी से बनाना होता है अतः इसके लिए प्रयुक्त ब्रश एकदम बढ़िया किस्म के होते है जो गिलहरी के बालों से बनें होते हैं।  लघुचित्रों में प्रयुक्त रंग विभिन्न नैसर्गिक स्त्रोतों जैसे फूल, पत्ते, सब्जियां, नील, कीमती प...

तंजावुर चित्रकला

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                                         This file is licensed under the  Creative Commons   Attribution-Share Alike 4.0 International  license. तंजावुर चित्रकला दक्षिण भारत की पारंपरिक चित्रकला है जिसका मूल तंजावुर शहर में है। तंजावुर चित्रकला का इतिहास  भारतीय चित्रकला के इतिहास में तंजावुर चित्रकला का अलग स्थान है। सोलहवीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य में 'राया' राजवंश के शासनकालमें नृत्य, संगीत, साहित्य आदि के साथ साथ तंजावुर चित्रकला को भी बढावा दिया गया। विजयनगर रायाओं के आधिपत्य में आनेवाले सभी नायकों ने अपने अपने क्षेत्रके मंदिरों की दिवारों पर तंजावुर शैली के चित्र बनवाये और चित्रकारों को राजाश्रय दिया। विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद इन सारे चित्रकारों को आसपास के प्रदेशों में आश्रय लेना पडा। इन चित्रकारों को राजाश्रय देने के लिए तंजावुर के भोसले घराने के मराठा शासक अग्रगण्य थे। तंजावुर चित्रकला के विषय  तंजावुर चित्रकला की शुरुआत मंदिरों में होने...

कलमकारी चित्रकला

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कलमकारी अर्थात कलम से की जानेवाली कलाकारी। कलमकारी की कला ईरान के ईस्फाहान प्रांत और भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य की पहचान है।  कपड़े और रंगों की तैयारी:  सूती कपड़े पर प्राकृतिक रंगों से चित्र बनायें जाते हैं। कपडे को दूध और माँड के घोल में डुबोकर रातभर रखा जाता है। दूसरे दिन धूपमें अच्छी तरह से सुखाकर लकडी के दस्ते से कूट कर नरम किया जाता है। इसतरह तैयार किया गया कपड़ा प्राकृतिक रंगों को अच्छी तरह से सोंखने में सक्षम होता है। पौधों, पत्तों, पेड़ों की छाल, तनों आदि का उपयोग करके प्राकृतिक रंग बनायें जाते हैं। दूध की गंध को दूर करने के लिए हरड़  का प्रयोग होता है। हरड़ और फिटकरी के प्रयोग से रंगों की स्थिरता को भी सुनिश्चित किया जाता है। कलमकारी के विषय: भारत में कलमकारी चित्रकला के विषय पौराणिक कथाओं एवं उनके चरित्रों के  साथ जुड़े होते हैं जैसे राधाकृष्ण, मत्स्यावतार, कृष्णलीला, रामदरबार, गीतोपदेश, दशावतार, पंचमुखी हनुमान, गणेश, सरस्वती, स्वस्तिक, पुष्पक विमान आदि। बुद्ध और बौद्ध कला रूपों का चित्रांकन भी होता हैं। आजकल फूल, छोटे जानवर, वाद्ययंत्र, बैल, म...