संदेश

नवंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खम्भालिदा की बौद्ध गुफाएं

चित्र
                                       खम्भालिदा गुफाएं  This file is licensed under the  Creative Commons   Attribution 2.0 Generic  license   भारत में लगभग दस हजार स्थानों पर गुफाओं में भित्ति चित्र, मूर्तिकला एवं स्थापत्य कला के नमूने मिलें है। इनमें अजंता गुफाओं के भित्तिचित्र तो जगप्रसिद्ध है। अन्य गुफाओं में बंदिस्त कलाविष्कार की श्रृंखला में से हि एक है खम्भालिदा की बौद्ध गुफाएं जो उनकी मूर्तिकला एवं पत्थरों पर की गई बारीक नक्काशी के कारण गुजरात राज्य का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है।   स्थान और मार्ग  गुजरात के राजकोट ज़िले में गोंडल के पास एक छोटे झरने के तट पर, छोटी छोटी पहाडियों की तलहटी में ये खम्भालिदा की बौद्ध गुफाएं स्थित है। इन गुफाओं की संख्या तीन है। राजकोट शहर भारत के सभी प्रमुख शहरों से सड़क, रेल तथा वायुमार्ग से भलीभाँति जोड़ा गया है। राजकोट से खम्भालिदा का अंतर 65 किमी तथा गोंडल रेल्वे स्टेशन से 27 किमी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 27 क...

बाबासाहेब अंबेडकर, महिला उत्थान के प्रणेता

संपूर्ण विश्व डाॅ. बाबासाहेब अम्बेडकर जी को दलित समाज के उद्धारक के रूप में जानता है और यह शत प्रतिशत सही है। परंतु उनका कार्य केवल दलित समाज तक हि सीमित नहीं है। तत्कालीन भारतीय समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति को देखते हुए भी वे व्यथित थे। पितृसत्तात्मक संस्कृति के दबाव में महिलाओं की इच्छा के खिलाफ विवाह, विवाह उपरांत उत्पीडन, बाल्यावस्था में गर्भधारण, आरोग्य विषयक समस्याएँ, विधवाओं का उत्पीड़न आदि सभी समस्याओं से वे भलीभाँति परिचित थे। वे जानते थे कि यह सारी समस्याएँ समाज के सभी वर्गों की महिलाओं को झेलनी पडती हैं। बाबासाहेब  के अनुसार  इस स्थिति को बदलने का एकमात्र तरीका था "शिक्षा"। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर महिला मुक्ति के समर्थक थे। उनके अनुसार, यदि हम किसी भी समाज का मूल्यांकन करना चाहते हैं, तो वह उस समाज में महिलाओं की स्थिति के आधार पर किया जा सकता है। उन्होंने हमेशा कहा कि सभी समुदायों की लड़कियों को भी उतना ही शिक्षित होना चाहिए जितना कि उन समुदायों के लड़के शिक्षित होते हैं।  बाबासाहब का मानना था कि माता-पिता को बचपन से ही अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना च...