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यु.ए.ई. प्रवास

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                                               अपने बेटे और पति को बाय कहते हुए मैंने मुंबई एयरपोर्ट के भीतर प्रवेश किया और दिल की धड़कन तेज़ हुई। अपने परिवार के साथ सुरक्षितता से ढेर सारा भ्रमण कर लेने के बाद आज मै वीणा वर्ल्ड के लेडिज स्पेशल टूर पर अकेले निकली थी। चेक इन के पास हमारे टूर मॅनेजर अक्षय वैद्य मिले। डिनर की व्यवस्था एयरपोर्ट पर हि थी जहाँ भावना मिली। वो भी अकेली थी। साथ डिनर कीया। दिल की धड़कन अब काबू में थी। फ़्लाईट में आशा एन सी साथ बैठी थी। आबूधाबी एयरपोर्ट पर बस के साथ हमारे टूर गाईड अक्षय पवार मिले। बस में सब की सीटस् अलाॅटेड थी। मेरे साथ रश्मि थी। अगले छः-सात दिन बस में रश्मि और रूम में आशा मेरी साथीदार थी। वे दोनों भी मुझ जैसे हि अकेली आई थी। शाम की introduction party में पता चला कि चालीस के ग्रुप में उन्नीस महिलाएं अकेले ही आई थी और रहा सहा डर उडणछू हो गया। रैम्प वाॅक के विनर्स में एक पच्चीस वर्ष के आसपास, एक पैतीस के आसपास तो एक सत्तर के आसपास म...

दादादादी, छोडो डर बनो स्मार्ट।

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थोडे दिन पहले हम स्कूल के जमाने की कुछ सहेलियां हम में से हि एक के घर पर इकट्ठा हुई थी। सभी साठ साल से अधिक आयु की। लंच का कार्यक्रम था। सबने एक एक व्यंजन बनाया था। गप्पें मारते हुए, एक दूसरे के हाथ का स्वाद चखते हुये भोजन तो बढ़िया से हो गया। आराम फ़रमाते हुए एक ने कहा कुल्फी होती तो मजा आता। दूसरी के मुँह से निकला पान भी आ जाता तो सोने पे सुहागा। निचे चौक पर हि सब मिल जाता है पर कौन जायें और लायें। मैंने तुरंत अपना स्मार्ट फोन निकाला और दोनों चीजों का बंदोबस्त किया। सबने कुल्फी और पान का आस्वाद लेते हुए मेरी खूब वाहवाही की। सबका कहना था ये काम तो हमारे बच्चे हि करते हैं। वैसे तो स्मार्ट फोन सभी के पास था। मगर उसका उपयोग नाती पोतों से वीडियो कॉल करना, दोस्तों के साथ WhatsApp chat और पोस्ट का आदान-प्रदान, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया पर रीलस् देखना इन कामों के लिए हि होता था। जिनकी उँगलियों में दर्द है वे मेसेज लिखने के बदले voice messages करेंगे वो भी बच्चों ने सिखाया है तो। कोई एक स्टेप आगे है तो  u tube पर कुकिंग और beauty टिप्स देखेंगे या Ott पर फिल्म या सिरिज देखेंगे। उ...

वाणी जयराम श्रद्धांजलि

 वाणी जयराम संगीत क्षेत्र का एक जाना माना नाम। 30 नवम्बर 1945 को वेल्लोर तमिलनाडु में जन्मी यह प्रसिद्ध गायिका  जानी जाती थी उनके शुद्ध तथा स्पष्ट उच्चारण और सहज गायिकी के लिए। उन्होंने उन्नीस भाषाओं में करीब दस हजार गाने गाये हैं। अन्य भाषाओं में उनके गायन के बारे मुझे अधिक जानकारी तो नही है परंतु उनके द्वारा गाये हिंदी फिल्मी गीतों की मै हमेशा प्रशंसक रही हूँ।  वे बँकींग क्षेत्र में कार्यरत थी। विवाह उपरांत उनके पति श्री जयराम जी के प्रोत्साहन से मुंबई में उन्होंने शास्त्रीय गायन का प्रशिक्षण प्राप्त किया और बँक की नौकरी छोड़कर गायन को अपना पेशा बना लिया। मुंबई निवास के समय उन्हें हिंदी में गाने का अवसर मिला। 1971 में आई श्री ऋषिकेष मुखर्जी निर्देशित और श्री वसंत देसाई द्वारा संगीतबद्ध  फिल्म 'गुड्डी ' के 'बोले रे पपिहरा' इस गाने से उनकी आवाज घर घर में पहुँच गई। हिंदी फिल्म संगीत जगत में एकछत्र राज करने वालों के लिए यह खतरे की घंटी थी। वाणी जी को अवसर न मिले और उनका करियर समाप्त हो जाये इसके भरसक प्रयास किये गये परंतु हिरे की चमक को कौन छुपा सकता है। वह तो कोयले की...

बेलम गुफाएं

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                                         बेलम गुफाओं में स्थित आरोही निक्षेप  Creative Commons  Attribution-Share Alike 4.0 International  लायसेंस। ऊँचे-ऊँचे पहाड़ भारत की भौगोलिक विशेषता हैं। इन्हीं पहाडों में स्थित है कईं अज्ञात गुफाएं। गुफा अनुसंधान अभियान द्वारा इनकी खोज का कार्य निरंतर चलता रहा है और कईं गुफाओं की खोज की गई है। बेलम गुफाएं भी गुफा अनुसंधान अभियान द्वारा खोजी गईं प्राकृतिक गुफाएं हैं। स्थान और मार्ग  बेलम गुफाएं आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में बेलम गाँव में स्थित हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन तादीपत्री यहाँ से 30 किमी दूर है जो भारत के कई प्रमुख शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद आदि से भलीभाँति जुड़ा है। तादीपत्री से बेलम गुफाओं तक बस से जा सकते हैं। विशेषताएं  बेलम गुफाएं, भारतीय उपमहाद्वीप की दुसरी सबसे बड़ी गुफाएं है। मेघालय में स्थित क्रिम लियात प्राह गुफाएं सबसे बड़ी गुफाएं हैं परंतु ये पर्यटकों के लिए खुली नहीं है। बेलम गुफाओं मे...

बाघ की बौद्ध गुफाएं

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                                          बाघ की बौद्ध गुफाएं क्रमांक 1-7 This file is licensed under the  Creative Commons   Attribution-Share Alike 3.0 Unported  license. भारत की गुफाओं में बंदिस्त कलाविष्कार की श्रृंखला में आज हम बात करते हैं बाघ की बौद्ध गुफाओं की। गुफाओं का स्थान  बाघ की बौद्ध गुफाएं मध्य प्रदेश के धार जिले में कुक्षी तहसील के अंतर्गत बाघिनी नामक एक छोटी नदी के तट पर विंध्य पर्वत के दक्षिण ढलान पर स्थित है। विंध्य पर्वत का यह हिस्सा मालवा क्षेत्र में  आता है। बाघिनी नदी के नाम से हि गाँव का और गुफाओं का नाम बाघ पडा है। ये गुफाएं धार से 97 किमी और इंदौर से 60 किमी दूरी पर इंदौर और वडोदरा के बिच स्थित है।कुक्षी से गुफाओं का अंतर 18 किमी है। निकटतम रेल्वे स्टेशन मेघानगर है जो इन गुफाओं से 82 किमी दूर है। सड़क मार्ग से गुफाओं तक बस या टैक्सी से सरलता से पहुँच सकते हैं। गुफाओं का निर्माण  बाघ की इन गुफाओं के लिये गुफा शब्द भी थोड़ा असंगत...

खम्भालिदा की बौद्ध गुफाएं

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                                       खम्भालिदा गुफाएं  This file is licensed under the  Creative Commons   Attribution 2.0 Generic  license   भारत में लगभग दस हजार स्थानों पर गुफाओं में भित्ति चित्र, मूर्तिकला एवं स्थापत्य कला के नमूने मिलें है। इनमें अजंता गुफाओं के भित्तिचित्र तो जगप्रसिद्ध है। अन्य गुफाओं में बंदिस्त कलाविष्कार की श्रृंखला में से हि एक है खम्भालिदा की बौद्ध गुफाएं जो उनकी मूर्तिकला एवं पत्थरों पर की गई बारीक नक्काशी के कारण गुजरात राज्य का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है।   स्थान और मार्ग  गुजरात के राजकोट ज़िले में गोंडल के पास एक छोटे झरने के तट पर, छोटी छोटी पहाडियों की तलहटी में ये खम्भालिदा की बौद्ध गुफाएं स्थित है। इन गुफाओं की संख्या तीन है। राजकोट शहर भारत के सभी प्रमुख शहरों से सड़क, रेल तथा वायुमार्ग से भलीभाँति जोड़ा गया है। राजकोट से खम्भालिदा का अंतर 65 किमी तथा गोंडल रेल्वे स्टेशन से 27 किमी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 27 क...

बाबासाहेब अंबेडकर, महिला उत्थान के प्रणेता

संपूर्ण विश्व डाॅ. बाबासाहेब अम्बेडकर जी को दलित समाज के उद्धारक के रूप में जानता है और यह शत प्रतिशत सही है। परंतु उनका कार्य केवल दलित समाज तक हि सीमित नहीं है। तत्कालीन भारतीय समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति को देखते हुए भी वे व्यथित थे। पितृसत्तात्मक संस्कृति के दबाव में महिलाओं की इच्छा के खिलाफ विवाह, विवाह उपरांत उत्पीडन, बाल्यावस्था में गर्भधारण, आरोग्य विषयक समस्याएँ, विधवाओं का उत्पीड़न आदि सभी समस्याओं से वे भलीभाँति परिचित थे। वे जानते थे कि यह सारी समस्याएँ समाज के सभी वर्गों की महिलाओं को झेलनी पडती हैं। बाबासाहेब  के अनुसार  इस स्थिति को बदलने का एकमात्र तरीका था "शिक्षा"। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर महिला मुक्ति के समर्थक थे। उनके अनुसार, यदि हम किसी भी समाज का मूल्यांकन करना चाहते हैं, तो वह उस समाज में महिलाओं की स्थिति के आधार पर किया जा सकता है। उन्होंने हमेशा कहा कि सभी समुदायों की लड़कियों को भी उतना ही शिक्षित होना चाहिए जितना कि उन समुदायों के लड़के शिक्षित होते हैं।  बाबासाहब का मानना था कि माता-पिता को बचपन से ही अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना च...