दादादादी, छोडो डर बनो स्मार्ट।

थोडे दिन पहले हम स्कूल के जमाने की कुछ सहेलियां हम में से हि एक के घर पर इकट्ठा हुई थी। सभी साठ साल से अधिक आयु की। लंच का कार्यक्रम था। सबने एक एक व्यंजन बनाया था। गप्पें मारते हुए, एक दूसरे के हाथ का स्वाद चखते हुये भोजन तो बढ़िया से हो गया। आराम फ़रमाते हुए एक ने कहा कुल्फी होती तो मजा आता। दूसरी के मुँह से निकला पान भी आ जाता तो सोने पे सुहागा। निचे चौक पर हि सब मिल जाता है पर कौन जायें और लायें। मैंने तुरंत अपना स्मार्ट फोन निकाला और दोनों चीजों का बंदोबस्त किया। सबने कुल्फी और पान का आस्वाद लेते हुए मेरी खूब वाहवाही की। सबका कहना था ये काम तो हमारे बच्चे हि करते हैं। वैसे तो स्मार्ट फोन सभी के पास था। मगर उसका उपयोग नाती पोतों से वीडियो कॉल करना, दोस्तों के साथ WhatsApp chat और पोस्ट का आदान-प्रदान, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया पर रीलस् देखना इन कामों के लिए हि होता था। जिनकी उँगलियों में दर्द है वे मेसेज लिखने के बदले voice messages करेंगे वो भी बच्चों ने सिखाया है तो। कोई एक स्टेप आगे है तो u tube पर कुकिंग और beauty टिप्स देखेंगे या Ott पर फिल्म या सिरिज देखेंगे। उ...